हृदय रोग का देसी एवं आयुर्वेदिक उपचार

हृदय हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है ,मनुष्य में यह छाती के मध्य में और थोड़ा सा बायीं और स्थित होता है। मनुष्य का हृदय एक दिन में लगभग 100000 बार और 1 मिनट में लगभग 60 से 90 बार धड़कता है। हृदय हर धड़कन के साथ शरीर में रक्त को धकेलता है। हृदय को पोषण एवं ऑक्सीजन रक्त के द्वारा मिलता है जो कोरोनरी धमनियों द्वारा प्रदान किया जाता है। मनुष्य का हृदय दो भागों में विभाजित होता है। हृदय रोग एक व्यापक शब्द है जो हृदय के संरचना और कार्य को प्रभावित करने वाले कई प्रकार के रोगों को संदर्भित करता है। हृदय रोग आधुनिक जीवन शैली बेहतर और स्वस्थ आहार की कमी, अत्यधिक तनाव, नियमित व्यायाम की कमी ,धूम्रपान मधुमेह, उच्च रक्तचाप ,अत्यधिक चर्बी और अन्य कारणों के कारण हो सकता है।

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हृदय रोग के प्रकार

हृदयघात (हार्ट अटैक)– हार्ट अटैक हृदय का एक ऐसा रोग है जो की हृदय के कुछ भाग में रक्त संचार सही तरीके से नहीं हो पाता है जिससे हृदय की कोशिकाएं मर जाती हैं जिस वजह से हार्ट अटैक की समस्या उत्पन्न हो जाती है, यह आमतौर पर हृदय के द्वारा रक्त को सही तरीके से पंप न कर पाने के कारण होता है।

Coronary Artery Disease – Coronary Artery Disease हृदय की धमनियों में जमाव और फैट के कारण होता है जिससे हृदय को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन और पोषण सही तरीके से नहीं मिल पाता है यह रोग हृदय की गतिशीलता को कम कर देता है जिसके वजह से छाती में दर्द और सांस लेने में कठिनाई होने लगती है |

कॉन्जेनिटल हृदय रोग (Congenital Heart Disease)-यह रोग नवजात के जन्म के समय हृदय की संरचना की खराबी के कारण होती है, हृदय में जाने वाले रक्त के सामान्य प्रवाह को बदल देती है जन्मजात हृदय की खराबियों के कई प्रकार होते हैं, जिसमें मामूली से गंभीर प्रकार तक की बीमारियां शामिल होती है।

उच्च रक्तचाप (Hypertension) –यह एक प्रमुख हृदय रोग है जो की उच्च रक्तचाप के कारण होता है।  जिससे हृदय की धमनियों में तनाव बढ़ जाता है।

हृदय संकोचन गतिविधि (Arrhythmia) –इस रोग में जो हृदय की धड़कन होती हैं वह सामान्य रूप से अत्यधिक तेज धड़कने लगती हैं और कभी कभार सामान्य रूप से बहुत धीमी गति से धड़कने लगता है।

हृदय रोग के लक्छण

हृदय रोग के लक्षण व्यक्ति के आयु, विचार शैली, आहार और व्यायाम के प्रभाव
पर निर्भर करते हैं। कुछ सामान्य लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं-

छाती में दर्द –छाती में दर्द होना हृदय रोग के लक्छणो में सबसे प्रमुख लक्छण है |यह छाती के बायीं तरफ दर्द महसूस होता है।

सांस लेने में तकलीफ – हृदय रोग में अधिकतर स्वांस लेने में तकलीफ महसूस होती है। स्वांस लेने के साथ ही छाती में दर्द महसूस होता है।

धड़कन की गति में बदलाव-हृदय रोग में दिल की धड़कन में बदलाव देखा जाता है , धड़कन सामान्य से कभी तेज हो जाती है तो कभी बहुत ही धीमे हो जाती है।

थकान-हृदय रोग में बहुत ज्यादा थकावट महसूस होती है , किसी व्यक्ति द्वारा हल्का काम करने मात्र से उसे बहुत ज्यादा थकान महसूस होती है।

 

हृदय रोग का देसी उपचार

हसुन – लहसुन के सेवन से शरीर में कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और  शरीर में खून का प्रवाह भी सही होता है। सीने में दर्द के लिए लहसुन बहुत ही असरकारक देसी उपचार है।

 

 

 

अदरक -अदरक हृदय रोग में काफी ज्यादा मात्रा में प्रयोग किया जाता है। अदरक में जिंजरोल पाया जाता है जो की आपके शरीर से कोलेस्ट्रॉल को काम करने में मदद करता है। अदरक में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में प्या जाता है जो की ब्लड सेल्स को ख़राब होने से बचाता है।

 

 

सेब – सेब खाने से आपके शरीर से हाई कोलेस्ट्रॉल को आसानी से कम किया जा सकता है ,यदि आपको हृदय रोग है तो आपको एक सेब प्रतिदिन जरूर खाना चाहिए।

 

 

 

 

अर्जुन की छाल– दोस्तों अर्जुन की छाल हृदय रोग में बहुत ही असरकारक जड़ी बूटी है। अर्जुन की छाल  का काढ़ा बना कर पीने से आपको कभी भी हृदय रोग नहीं होगा। अर्जुन की छाल का सेवन करने से आपके पूरे शरीर में से कोलेस्ट्रॉल ख़तम हो जाता है |

आंवला – आंवला आपके शरीर में रक्त में मौजूद कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है। जिससे ह्रदय रोगियों को बहुत रहत मिलती है।

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